कल्पवृक्ष – देवलोक का वृक्ष ( Kalpa Vriksh)Swami Sandeepani
कल्पवृक्ष – देवलोक का वृक्ष – आपकी कल्पनाओं को यथार्थ साकार स्वरूप प्रदान वाला वृक्ष। इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी कामना करता है, वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है। इसे कल्पद्रुप, कल्पतरु, सुरतरु देवतरु तथा कल्पलता इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार समुद्रमंथन से प्राप्त 14 रत्नों में कल्पवृक्ष भी था। यह इंद्र को दे दिया गया था और इंद्र ने इसकी स्थापना सुरकानन में कर दी थी। विश्वास एवं भाव है कि कल्पवृक्ष से जिस वस्तु की भी याचना की जाए, वही यह दे देता है। इसका नाश कल्पांत तक नहीं होता।
सिद्ध, नाथ और संत कल्पलता या कल्पवल्लरी संज्ञा ‘उन्मनी’ को देते हैं क्योंकि उनके मतानुसार सहजावस्था या कैवल्य की प्राप्ति के लिए उन्मनी ही एकमात्र साधन है जो न केवल सभी कामनाओं को पूरी करनेवाली है अपितु स्वयं अविनश्वर भी है और जिसे मिल जाती हैं, उसे भी अविनश्वर बना देती है।
यह एक परोपकारी मेडिस्नल-प्लांट है अर्थात दवा देने वाला वृक्ष है। इसमें संतरे से 6 गुना ज्यादा विटामिन ‘सी’ होता है। गाय के दूध से दोगुना कैल्शियम होता है और इसके अलावा सभी तरह के विटामिन पाए जाते हैं।
इसकी पत्ती को धो-धाकर सूखी या पानी में उबालकर खाया जा सकता है। पेड़ की छाल, फल और फूल का उपयोग औषधि तैयार करने के लिए किया जाता है।
एक वृक्ष के कितने फायदे…
सेहत के लिए : इस वृक्ष की 3 से 5 पत्तियों का सेवन करने से हमारे दैनिक पोषण की जरूरत पूरी हो जाती है। शरीर को जितने भी तरह के सप्लीमेंट की जरूरत होती है इसकी 5 पत्तियों से उसकी पूर्ति हो जाती है। इसकी पत्तियां उम्र बढ़ाने में सहायक होती हैं, क्योंकि इसके पत्ते एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। यह कब्ज और एसिडिटी में सबसे कारगर है। इसके पत्तों में एलर्जी, दमा, मलेरिया को समाप्त करने की शक्ति है। गुर्दे के रोगियों के लिए भी इसकी पत्तियों व फूलों का रस लाभदायक सिद्ध हुआ है।
इसके बीजों का तेल हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसके तेल में एचडीएल (हाईडेंसिटी कोलेस्ट्रॉल) होता है। इसके फलों में भरपूर रेशा (फाइबर) होता है। मानव जीवन के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व इसमें मौजूद रहते हैं। पुष्टिकर तत्वों से भरपूर इसकी पत्तियों से शरबत बनाया जाता है और इसके फल से मिठाइयां भी बनाई जाती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हमारे शरीर में आवश्यक 8 अमीनो एसिड में से 6 इस वृक्ष में पाए जाते हैं।
पर्यावरण के लिए : यह वृक्ष जहां भी बहुतायत में पाया जाता है, वहां सूखा नहीं पड़ता। यह रोगाणुओं का डटकर मुकाबला करता है। इस वृक्ष की खासियत यह है कि कीट-पतंगों को यह अपने पास फटकने नहीं देता और दूर-दूर तक वायु के प्रदूषण को समाप्त कर देता है। इस संदर्भ में इसमें तुलसी जैसे गुण हैं।
कल्पवृक्ष का फल आम, नारियल और बिल्ला का जोड़ है अर्थात यह कच्चा रहने पर आम और बिल्व तथा पकने पर नारियल जैसा दिखाई देता है लेकिन यह पूर्णत: जब सूख जाता है तो सूखे खजूर जैसा नजर आता है।
स्वामी संदीपानी
महंत – सुमरती मठ !
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भज मन ओ३म् सर्वे भवन्तु सुखिनः