आयुर्वेदा
‘खाना’ खाते खल सभी, संत करें ‘आहार’।
सज्जन ‘भोजन’ को करें, भाषा क्रिया प्रकार।।
हिंदी भाषा में शब्दों का प्रयोग और उनके विभिन्न अर्थ हमें यह समझने का अवसर देते हैं कि हमारी भाषा कितनी समृद्ध और बहुरंगी है। उपरोक्त पंक्तियाँ एक प्रसिद्ध कहावत के रूप में यह दर्शाती हैं कि भाषा का सही और सटीक प्रयोग कितना महत्वपूर्ण है। आइए इन पंक्तियों को विस्तार से समझते हैं।
‘खाना’ खाते खल सभी, संत करें ‘आहार’।
इस पंक्ति में ‘खाना’ शब्द का प्रयोग किया गया है। ‘खाना’ इस शब्द का प्रयोग हर प्रकार के व्यक्ति, चाहे वह सामान्य हो या असामान्य है। यहाँ ‘खल’ शब्द का अर्थ है दुष्ट व्यक्ति या अधम व्यक्ति। इस प्रकार, यह पंक्ति कहती है कि सामान्य और साधारण व्यक्ति, चाहे वे अच्छे हों या बुरे, ‘खाना’ खाते हैं।
इसके विपरीत, ‘संत’ शब्द का प्रयोग उन व्यक्तियों के लिए किया गया है जो आत्मिक और आध्यात्मिक रूप से उच्च स्तर के होते हैं। ये व्यक्ति साधारण भोजन नहीं करते, बल्कि ‘आहार’ करते हैं। ‘आहार’ का अर्थ केवल शारीरिक पोषण से नहीं है, बल्कि यह आत्मिक पोषण और जीवनशैली का भी प्रतीक है। संतों का भोजन केवल भूख मिटाने का साधन नहीं होता, बल्कि यह उनके आत्मिक विकास का हिस्सा होता है।
सज्जन ‘भोजन’ को करें, भाषा क्रिया प्रकार।।
दूसरी पंक्ति में ‘सज्जन’ शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ है नेक, सभ्य और अच्छे व्यक्ति। ये लोग ‘भोजन’ करते हैं। ‘भोजन’ शब्द का प्रयोग अधिक संयमित और व्यवस्थित तरीके से खाने के संदर्भ में होता है। यह शब्द उस क्रिया को भी दर्शाता है जो भोजन के समय की जाती है, अर्थात यह एक विधिपूर्वक और संस्कारित तरीके से खाने का प्रतीक है।
इस प्रकार, सज्जन व्यक्ति ‘भोजन’ करते हैं, न कि केवल ‘खाना’। वे इसे एक प्रक्रिया के रूप में देखते हैं जिसमें पोषण, स्वास्थ्य और संस्कार का ध्यान रखा जाता है। यहाँ ‘भाषा क्रिया प्रकार’ का अर्थ है कि यह क्रिया भाषा के माध्यम से व्यक्त की जाती है, जो दर्शाती है कि भोजन करना केवल एक भौतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक क्रिया भी है।
इस प्रकार, उपरोक्त पंक्तियों का गहरा अर्थ यह है कि भाषा का सही प्रयोग व्यक्ति के व्यक्तित्व और उसकी आंतरिक स्थिति को भी प्रकट करता है। ‘खाना’, ‘आहार’, और ‘भोजन’ शब्दों का प्रयोग उनके संदर्भ और उपयोगिता के अनुसार किया जाना चाहिए। यह न केवल भाषा की समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे विभिन्न शब्द विभिन्न स्तरों और प्रकारों के व्यक्तियों के जीवन और उनके क्रियाकलापों को प्रतिबिंबित करते हैं।